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151 Gulab Ke Phul 151 Plash ke Phul

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Surendra Singh Rawat

मेरे द्वारा लिखी दूसरी पुस्तक पलाश के फूल’ आपके हाथों में है। ‘151 गुलाब के फूल, 151 मेरी प्रथम प्रकाशित पुस्तक इंग्लिश भाषा में लिखी गई थीः ‘FIVE NITIES – THIS IS NOT A FICTION’. उस पुस्तक का विषय मेरे लिए शायद ज्यादा सहज रहा था। मेरा अधिकतक जीवन प्रबंधन की पढाई या प्रबंधन की विभिन्न संस्थानों में सेवा देने में ही अब तक बीता है। अभी भी मैं व्यावसायिक प्रबंधन सेवा देने में व्यस्त हूँ। मुझे लगता है की प्रबंधन की पुस्तकों का अध्ययन करने की बजाए यदि हम अपने गुजरे हुए कालखंड की कुछ महान विभूतिओं की जीवनियों का अध्ययन कर सकें तो इससे प्रबंधन विज्ञान में बड़ी सीख मिल सकती है। मेरी दूसरी पुस्तक ‘151 गुलाब के फूल, 151 पलाश के फूल’ की शुरुवात तब हुई जब मैंने दोहा लिखने के प्रयास की शुरुवात की। दोहा लेखन एक विशेष विधा है। हिंदी साहित्य के सबसे छोटे छंदों में इसकी गणना होती हैं। दोहा विधा हिंदी की सबसे लोकप्रिय विधाओं में से एक हैं, हर एक दोहे में चार चरण होते हैं। जिसमें दो चरण विषम कहे जाते हैं प्रथम और तृतीया और इनमें 13 का मात्रा भार होता हैं, इसी तरह से दो सम चरणों अर्थात द्वितीय एवं चतुर्थ चरणों में 11 मात्रा भार होता है। 13 और 11 मात्रा भार से सुसज्जित चार चरणों के माध्यम से तर्क संगत सार्थक बात कह दी जाती है। हर दोहे में एक उचित सन्देश होना दोहे की सार्थकता को अद्वितीय ऊंचाइयों तक ले जाता है।